श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  10.63.21 
 
 
ततस्तिर्यङ्‍मुखो नग्नामनिरीक्षन् गदाग्रज: ।
बाणश्च तावद् विरथश्छिन्नधन्वाविशत् पुरम् ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  नग्नावस्था में उस स्त्री को देखने से बचने के लिए भगवान गदाग्रज ने अपना चेहरा दूसरी ओर कर लिया और रथच्युत और धनुषभंगुर होने से बाणासुर इस अवसर का लाभ उठाकर अपने नगर की ओर भाग खड़ा हुआ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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