श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  10.63.18 
 
 
धनूंष्याकृष्य युगपद् बाण: पञ्चशतानि वै ।
एकैकस्मिन् शरौ द्वौ द्वौ सन्दधे रणदुर्मद: ॥ १८ ॥
 
अनुवाद
 
  युद्ध करने की सनक में बाण ने एक साथ अपने पांच सौ धनुषों की डोरियाँ खींच कर प्रत्येक डोरी पर दो-दो बाण चढ़ा दिए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.