श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  10.63.17 
 
 
विशीर्यमाणं स्वबलं द‍ृष्ट्वा बाणोऽत्यमर्षित: ।
कृष्णमभ्यद्रवत् सङ्ख्ये रथी हित्वैव सात्यकिम् ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  अपनी पूरी सेना के टुकड़े-टुकड़े होते देख बाणासुर बहुत क्रोधित हो गया। उसने सात्यकि से युद्ध करना छोड़ दिया और अपने रथ पर सवार होकर युद्धभूमि को पार करते हुए भगवान कृष्ण पर आक्रमण कर दिया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.