श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  10.63.15 
 
 
स्कन्द: प्रद्युम्नबाणौघैरर्द्यमान: समन्तत: ।
असृग् विमुञ्चन् गात्रेभ्य: शिखिनापक्रमद् रणात् ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  कार्तिकेय चारों ओर से प्रद्युम्न के बाणों की वर्षा से व्यथित होकर अपने मोर वाहन पर चढ़कर युद्धभूमि से भाग निकले क्योंकि उनके अंग-प्रत्यंगों से खून बह रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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