श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  10.63.1 
 
 
श्रीशुक उवाच
अपश्यतां चानिरुद्धं तद्बन्धूनां च भारत ।
चत्वारो वार्षिका मासा व्यतीयुरनुशोचताम् ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने कहा: हे भारत, अनिरुद्ध के परिजन उसे लौटते हुए ना देखकर दुःखी रहे और इस प्रकार वर्षा ऋतु के चार महीने बीत गए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.