तत्पश्चात् बलराम आदि दशार्हों ने अनिरुद्ध और उसकी पत्नी को एक सुंदर रथ में बैठाया और भोजकट से द्वारका के लिए प्रस्थान कर लिए। भगवान् मधुसूदन की शरण लेने से उनके सभी उद्देश्य पूरे हो गए।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत इकसठ अध्याय समाप्त होता है ।