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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 61: बलराम द्वारा रुक्मी का वध
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श्लोक 39
श्लोक
10.61.39
निहते रुक्मिणि श्याले नाब्रवीत् साध्वसाधु वा ।
रक्मिणीबलयो राजन् स्नेहभङ्गभयाद्धरि: ॥ ३९ ॥
अनुवाद
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हे राजन, जब भगवान कृष्ण के साले रुक्मी को मार डाला गया तो उन्होंने उसकी न तो प्रशंसा की और ना ही विरोध किया | क्योंकि उन्हें डर था कि या तो रुक्मणी या बलराम से उनके प्यार का बंधन टूट जाएगा। |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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