श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 61: बलराम द्वारा रुक्मी का वध  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  10.61.34 
 
 
तामनाद‍ृत्य वैदर्भो दुष्टराजन्यचोदित: ।
सङ्कर्षणं परिहसन् बभाषे कालचोदित: ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  दुष्ट राजाओं की उकसावट से रुक्मी ने इस दैवीय आवाज को नज़रअंदाज कर दिया। दरअसल, नियति खुद ही रुक्मी को प्रेरित कर रही थी, इसलिये उसने इस प्रकार भगवान बलराम का उपहास किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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