श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 61: बलराम द्वारा रुक्मी का वध  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  10.61.29 
 
 
शतं सहस्रमयुतं रामस्तत्राददे पणम् ।
तं तु रुक्‍म्यजयत्तत्र कालिङ्ग: प्राहसद् बलम् ।
दन्तान् सन्दर्शयन्नुच्चैर्नामृष्यत्तद्धलायुध: ॥ २९ ॥
 
अनुवाद
 
  उस प्रतियोगिता में सबसे पहले बलरामजी ने एक सौ सिक्कों की शर्त मान ली, फिर एक हज़ार की और फिर दस हज़ार की। रुक्मी ने इस प्रथम चक्र को जीत लिया तो कलिंगराज ने अपने सारे दाँत दिखाकर बलरामजी पर ज़ोर-ज़ोर से हँसी। बलरामजी यह बर्दाश्त नहीं कर सके।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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