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श्लोक 17
श्लोक
10.61.17
सङ्ग्रामजिद् बृहत्सेन: शूर: प्रहरणोऽरिजित् ।
जय: सुभद्रो भद्राया वाम आयुश्च सत्यक: ॥ १७ ॥
अनुवाद
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भद्रा के पुत्र संग्रामजित, बृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयुर् और सत्यक थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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