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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 59: नरकासुर का वध
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श्लोक 9
श्लोक
10.59.9
तदापतद् वै त्रिशिखं गरुत्मते
हरि: शराभ्यामभिनत्त्रिधोजसा ।
मुखेषु तं चापि शरैरताडयत्
तस्मै गदां सोऽपि रुषा व्यमुञ्चत ॥ ९ ॥
अनुवाद
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तब भगवान् हरि ने गरुड़ की ओर बढ़ते हुए त्रिशूल पर दो बाणों से प्रहार किया और उसे तीन टुकड़ों में काट डाला। इसके बाद भगवान् ने मुर के चेहरे पर कई बाण मारे और गुस्से में आकर राक्षस ने भगवान् पर अपनी गदा फेंक दी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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