श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 59: नरकासुर का वध  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  10.59.6 
 
 
पाञ्चजन्यध्वनिं श्रुत्वा युगान्तशनिभीषणम् ।
मुर: शयान उत्तस्थौ दैत्य: पञ्चशिरा जलात् ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  नगर की खाई की तली में शयनरत पाँच सिरों वाला असुर मुर जब भगवान् कृष्ण के पाँचजन्य शंख की ध्वनि सुनता है, जो युग की समाप्ति पर बिजली (वज्र) की गड़गड़ाहट के समान भयानक है, तो वह तुरंत जाग जाता है और झट से पानी के बाहर आ जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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