श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 59: नरकासुर का वध  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  10.59.5 
 
 
शङ्खनादेन यन्त्राणि हृदयानि मनस्विनाम् ।
प्राकारं गदया गुर्व्या निर्बिभेद गदाधर: ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  गदाधर ने अपने शंख की ध्वनि से दुर्ग के जादुई तिलिस्मों और साथ ही उसके वीर रक्षकों के हृदयों को तोड़ दिया। उन्होंने अपनी भारी गदा से किले के मिट्टी के परकोटे को नष्ट कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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