श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 59: नरकासुर का वध  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  10.59.11 
 
 
व्यसु: पपाताम्भसि कृत्तशीर्षो
निकृत्तश‍ृङ्गोऽद्रिरिवेन्द्रतेजसा ।
तस्यात्मजा: सप्त पितुर्वधातुरा:
प्रतिक्रियामर्षजुष: समुद्यता: ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  प्राणशून्य मुर का सिर काटा हुआ शरीर जल में उस पर्वत की भाँति ढ़ह पड़ा जिसकी चोटी पर इन्द्र के वज्र की शक्ति ने प्रहार किया हो। राक्षस के सात पुत्र, अपने पिता की मृत्यु से क्रुद्ध होकर, प्रतिशोध के लिए उद्यत हो उठे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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