श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 58: श्रीकृष्ण का पाँच राजकुमारियों से विवाह  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  10.58.12 
 
 
इति वै वार्षिकान् मासान् राज्ञा सोऽभ्यर्थित: सुखम् ।
जनयन् नयनानन्दमिन्द्रप्रस्थौकसां विभु: ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  राजा द्वारा उनके साथ रहने का निवेदन किये जाने पर वर्षा ऋतु के महीनों में भगवान श्री कृष्ण नगरवासियों के नेत्रों को आनन्द प्रदान करते हुए इन्द्रप्रस्थ में सुखपूर्वक निवास करते रहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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