श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 57: सत्राजित की हत्या और मणि की वापसी  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  10.57.41 
 
 
स्यमन्तकं दर्शयित्वा ज्ञातिभ्यो रज आत्मन: ।
विमृज्य मणिना भूयस्तस्मै प्रत्यर्पयत् प्रभु: ॥ ४१ ॥
 
अनुवाद
 
  अपने संबंधियों को स्यमंतक मणि दिखाकर सर्वशक्तिमान भगवान ने अपने ऊपर लगे झूठे आरोपों को मिटाया और उसे अक्रूर को वापस लौटा दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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