श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 57: सत्राजित की हत्या और मणि की वापसी  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  10.57.34 
 
 
इति वृद्धवच: श्रुत्वा नैतावदिह कारणम् ।
इति मत्वा समानाय्य प्राहाक्रूरं जनार्दन: ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  इन वृद्ध जनों के वचन सुनकर भगवान जनार्दन जानते थे की अशुभ निशानियो की एकमात्र वज़ह अक्रूर की अनुपस्थिति नहीं थी, फिर भी उन्होंने उन्हें द्वारका वापस बुलाया और उनसे बात की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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