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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 57: सत्राजित की हत्या और मणि की वापसी
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श्लोक 23
श्लोक
10.57.23
तत आह बलो नूनं स मणि: शतधन्वना ।
कस्मिंश्चित् पुरुषे न्यस्तस्तमन्वेष पुरं व्रज ॥ २३ ॥
अनुवाद
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इस पर बलराम जी ने उत्तर दिया, "निस्संदेह शतधन्वा ने उस मणि को किसी के पास रख छोड़ा होगा। तुम नगरी में वापस जाओ और उस व्यक्ति को ढूंढ़ निकालो।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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