श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 57: सत्राजित की हत्या और मणि की वापसी  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  10.57.22 
 
 
अलब्धमणिरागत्य कृष्ण आहाग्रजान्तिकम् ।
वृथा हत: शतधनुर्मणिस्तत्र न विद्यते ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  मणि न मिलने पर भगवान कृष्ण अपने बड़े भाई के पास गये और बोले, "हमने शतधन्वा का वध व्यर्थ किया। उसके पास वो मणि नहीं है।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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