प्रत्याख्यात: स चाक्रूरं पार्ष्णिग्राहमयाचत ।
सोऽप्याह को विरुध्येत विद्वानीश्वरयोर्बलम् ॥ १४ ॥
अनुवाद
अपनी याचना खारिज होने के बाद शतधन्वा अक्रूर के पास गया और अपनी रक्षा के लिए उनसे प्रार्थना की। किन्तु अक्रूर ने भी उसी तरह उससे कहा, "ऐसा कौन है जो उन दोनों विभुओं की ताकत जानकर उनका विरोध करेगा?"