श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 57: सत्राजित की हत्या और मणि की वापसी  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  10.57.14 
 
 
प्रत्याख्यात: स चाक्रूरं पार्ष्णिग्राहमयाचत ।
सोऽप्याह को विरुध्येत विद्वानीश्वरयोर्बलम् ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  अपनी याचना खारिज होने के बाद शतधन्वा अक्रूर के पास गया और अपनी रक्षा के लिए उनसे प्रार्थना की। किन्तु अक्रूर ने भी उसी तरह उससे कहा, "ऐसा कौन है जो उन दोनों विभुओं की ताकत जानकर उनका विरोध करेगा?"
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.