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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 56: स्यमन्तक मणि
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श्लोक 9
श्लोक
10.56.9
श्रीशुक उवाच
निशम्य बालवचनं प्रहस्याम्बुजलोचन: ।
प्राह नासौ रविर्देव: सत्राजिन्मणिना ज्वलन् ॥ ९ ॥
अनुवाद
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शुकदेव गोस्वामी ने आगे बताया : ये भोलेभाले वचन सुनकर कमलनयन भगवान् मुस्कुराए और बोले, “यह सूर्यदेव, रवि नहीं है, अपितु सत्राजित है, जो अपनी मणि के कारण चमक रहा है।”
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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