श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 56: स्यमन्तक मणि  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  10.56.7 
 
 
एष आयाति सविता त्वां दिद‍ृक्षुर्जगत्पते ।
मुष्णन् गभस्तिचक्रेण नृणां चक्षूंषि तिग्मगु: ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  हे ब्रह्मांड के स्वामी, सवितादेव आपसे भेंट करने आए हैं। वे अपनी चमकीली तेजोमय किरणों से सभी की आँखों को चौंधिया रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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