श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ » अध्याय 56: स्यमन्तक मणि » श्लोक 43 |
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| | श्लोक 10.56.43  | |  | | एवं व्यवसितो बुद्ध्या सत्राजित् स्वसुतां शुभाम् ।
मणिं च स्वयमुद्यम्य कृष्णायोपजहार ह ॥ ४३ ॥ | | अनुवाद | | इस तरह बुद्धिमानी के साथ मन को निश्चय कर के राजा सत्राजित ने अपनी गोरी पुत्री और स्यमन्तक मणि को श्रीकृष्ण को भेंट करने का प्रबंध किया। | |
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