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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 56: स्यमन्तक मणि
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श्लोक 37
श्लोक
10.56.37
उपलभ्य हृषीकेशं मृतं पुनरिवागतम् ।
सह पत्न्या मणिग्रीवं सर्वे जातमहोत्सवा: ॥ ३७ ॥
अनुवाद
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भगवान हृषीकेश को उनकी नई पत्नी, स्यमंतक मणि गले में पहने, मृत्यु से लौटे हुए देखकर, सभी लोगों में बहुत ज्यादा खुशी हुई।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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