श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 56: स्यमन्तक मणि  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  10.56.34 
 
 
निशम्य देवकी देवी रक्‍मिण्यानकदुन्दुभि: ।
सुहृदो ज्ञातयोऽशोचन् बिलात् कृष्णमनिर्गतम् ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  जब देवकी, रुक्मिणी देवी, वसुदेव तथा प्रभु के अन्य संबंधी और मित्रों ने सुना कि वे गुफा से बाहर नहीं निकले तो वे सभी शोक करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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