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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 56: स्यमन्तक मणि
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श्लोक 33
श्लोक
10.56.33
अदृष्ट्वा निर्गमं शौरे: प्रविष्टस्य बिलं जना: ।
प्रतीक्ष्य द्वादशाहानि दु:खिता: स्वपुरं ययु: ॥ ३३ ॥
अनुवाद
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भगवान शौरि गुफा में प्रवेश करने के पश्चात् उनके साथ में आये हुए द्वारकावासी बारह दिनों तक उनकी प्रतीक्षा करते रहे, किन्तु वे बाहर नहीं निकले। अंत में वे सभी निराश होकर अत्यंत दुख के साथ अपने नगर को लौट पड़े।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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