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श्रीमद् भागवतम
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अध्याय 56: स्यमन्तक मणि
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श्लोक 32
श्लोक
10.56.32
इत्युक्त: स्वां दुहितरं कन्यां जाम्बवतीं मुदा ।
अर्हणार्थं स मणिना कृष्णायोपजहार ह ॥ ३२ ॥
अनुवाद
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ऐसे कहे जाने पर जाम्बवान ने खुशी के साथ अपनी कुमारी पुत्री जाम्बवती और रत्न भेंट करके भगवान कृष्ण का आदर सत्कार किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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