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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 56: स्यमन्तक मणि
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श्लोक 31
श्लोक
10.56.31
मणिहेतोरिह प्राप्ता वयमृक्षपते बिलम् ।
मिथ्याभिशापं प्रमृजन्नात्मनो मणिनामुना ॥ ३१ ॥
अनुवाद
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[भगवान कृष्ण ने कहा :] हे भालुओं के राजा, हम यहाँ तुम्हारी गुफा में इसी मणि के लिए आए हैं। मैं इस मणि का उपयोग मेरे ऊपर लगाए गए आरोपों को गलत साबित करने के लिए करना चाहता हूँ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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