कृष्णमुष्टिविनिष्पातनिष्पिष्टाङ्गोरुबन्धन: ।
क्षीणसत्त्व: स्विन्नगात्रस्तमाहातीव विस्मित: ॥ २५ ॥
अनुवाद
भगवान कृष्ण के मुक्कों के प्रहार से जाम्बवान की उभरी हुई मांसपेशियाँ कुचल गईं, उसका बल कम होने लगा और अंग पसीने से तर हो गए। वह बहुत चकित हुआ और भगवान से बोला।