श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 56: स्यमन्तक मणि  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  10.56.20 
 
 
तत्र द‍ृष्ट्वा मणिप्रेष्ठं बालक्रीडनकं कृतम् ।
हर्तुं कृतमतिस्तस्मिन्नवतस्थेऽर्भकान्तिके ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  वहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने देखा कि बहुमूल्य रत्न बच्चे के खिलौने बनकर रहे हैं। उसे लेने के निश्चय के साथ वे उस बालक के पास गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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