श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ » अध्याय 56: स्यमन्तक मणि » श्लोक 15 |
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| | श्लोक 10.56.15  | |  | | सोऽपि चक्रे कुमारस्य मणिं क्रीडनकं बिले ।
अपश्यन् भ्रातरं भ्राता सत्राजित् पर्यतप्यत ॥ १५ ॥ | | अनुवाद | | गुफा के अंदर जाम्बवान ने अपने छोटे बेटे को स्यामंतक मणि को खिलौने के तौर पर दे दिया। उधर, सत्राजित अपने भाई को वापस आता नहीं देखकर बहुत परेशान हो गया। | |
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