श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 56: स्यमन्तक मणि  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  10.56.14 
 
 
प्रसेनं सहयं हत्वा मणिमाच्छिद्य केशरी ।
गिरिं विशन् जाम्बवता निहतो मणिमिच्छता ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  एक सिंह ने प्रसेन और उसके घोड़े को मार कर वह मणि ले ली। परन्तु जब वह सिंह पर्वतीय गुफा में गया तो जाम्बवान, जो उस मणि को चाहता था, ने उसे मार डाला।
 
 
 
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