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श्रीमद् भागवतम
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अध्याय 55: प्रद्युम्न-कथा
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श्लोक 1
श्लोक
10.55.1
श्रीशुक उवाच
कामस्तु वासुदेवांशो दग्ध: प्राग् रुद्रमन्युना ।
देहोपपत्तये भूयस्तमेव प्रत्यपद्यत ॥ १ ॥
अनुवाद
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शुकदेव जी ने कहा: कामदेव वासुदेव का ही एक अवतार था, जिसे पहले ही रूद्र के क्रोध से राख कर दिया गया था। अब शरीर प्राप्त करने के लिए वह दोबारा भगवान वासुदेव के शरीर में वापिस आ गया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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