हस्ता: सासिगदेष्वासा: करभा ऊरवोऽङ्घ्रय: ।
अश्वाश्वतरनागोष्ट्रखरमर्त्यशिरांसि च ॥ ८ ॥
अनुवाद
चारों ओर जाँघें, पाँव और ऊँगलियाँ न होने वाले हाथों के साथ-साथ तलवार, गदा और धनुष पकड़े हुए हाथ और घोड़े, गधे, हाथी, ऊँट, जंगली गधे और मनुष्यों के सिर भी पड़े थे।