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अध्याय 54: कृष्ण-रुक्मिणी विवाह
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श्लोक 7
श्लोक
10.54.7
पेतु: शिरांसि रथिनामश्विनां गजिनां भुवि ।
सकुण्डलकिरीटानि सोष्णीषाणि च कोटिश: ॥ ७ ॥
अनुवाद
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रथों, घोड़ों और हाथियों पर लड़ने वाले सैनिकों के करोड़ों सिर कटकर ज़मीन पर गिरने लगे थे। इनमें से कुछ सिरों पर कुंडल थे, जबकि कुछ पर मुकुट और पगड़ियाँ थीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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