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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 54: कृष्ण-रुक्मिणी विवाह
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श्लोक 31
श्लोक
10.54.31
तस्य चापतत: खड्गं तिलशश्चर्म चेषुभि: ।
छित्त्वासिमाददे तिग्मं रुक्मिणं हन्तुमुद्यत: ॥ ३१ ॥
अनुवाद
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जैसे ही रुक्मी ने उन पर आक्रमण किया, भगवान ने तीर चलाए जिससे रुक्मी की तलवार और ढाल के टुकड़े-टुकड़े हो गए। तब कृष्ण ने अपनी तेज तलवार उठाई और रुक्मी को मारने के लिए तैयार हो गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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