श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 53: कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का अपहरण  »  श्लोक 8-9
 
 
श्लोक  10.53.8-9 
 
 
पुरं सम्मृष्टसंसिक्तमार्गरथ्याचतुष्पथम् ।
चित्रध्वजपताकाभिस्तोरणै: समलङ्कृतम् ॥ ८ ॥
स्रग्गन्धमाल्याभरणैर्विरजोऽम्बरभूषितै: ।
जुष्टं स्‍त्रीपुरुषै: श्रीमद्गृहैरगुरुधूपितै: ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  राजा ने मुख्य मार्गों, व्यापारिक सडक़ों और चौराहों को अच्छी तरह से साफ कराया और फिर उन पर पानी का छिड़काव करवाया। उसने शहर को विजय के प्रतीक तोरण और रंगीन झंडों से सजाया। शहर के पुरुष और महिलाओं ने स्वच्छ कपड़े पहने और अपने शरीरों पर सुगंधित चंदन का लेप लगाया। उन्होंने कीमती हार, फूलों की मालाएँ और रत्न जटित आभूषण पहने। उनके शानदार घर अगुरु की सुगंध से भर गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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