पुरं सम्मृष्टसंसिक्तमार्गरथ्याचतुष्पथम् ।
चित्रध्वजपताकाभिस्तोरणै: समलङ्कृतम् ॥ ८ ॥
स्रग्गन्धमाल्याभरणैर्विरजोऽम्बरभूषितै: ।
जुष्टं स्त्रीपुरुषै: श्रीमद्गृहैरगुरुधूपितै: ॥ ९ ॥
अनुवाद
राजा ने मुख्य मार्गों, व्यापारिक सडक़ों और चौराहों को अच्छी तरह से साफ कराया और फिर उन पर पानी का छिड़काव करवाया। उसने शहर को विजय के प्रतीक तोरण और रंगीन झंडों से सजाया। शहर के पुरुष और महिलाओं ने स्वच्छ कपड़े पहने और अपने शरीरों पर सुगंधित चंदन का लेप लगाया। उन्होंने कीमती हार, फूलों की मालाएँ और रत्न जटित आभूषण पहने। उनके शानदार घर अगुरु की सुगंध से भर गए।