श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 53: कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का अपहरण  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  10.53.7 
 
 
राजा स कुण्डिनपति: पुत्रस्‍नेहवशानुग: ।
शिशुपालाय स्वां कन्यां दास्यन् कर्माण्यकारयत् ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  राजा भीष्मक, कुण्डिन के स्वामी, अपने पुत्र के प्रति स्नेहवश के कारण, अपनी पुत्री का विवाह शिशुपाल के साथ करने वाले थे। राजा ने सभी आवश्यक तैयारियाँ पूरी कर ली थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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