श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 53: कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का अपहरण  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  10.53.6 
 
 
आरुह्य स्यन्दनं शौरिर्द्विजमारोप्य तूर्णगै: ।
आनर्तादेकरात्रेण विदर्भानगमद्धयै: ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान शौरि अपने रथ पर सवार हुए और फिर ब्राह्मण को चढ़ाया। उसके बाद भगवान के घोड़े एक रात में ही उन्हें आनर्त जिले से विदर्भ ले गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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