श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 53: कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का अपहरण  »  श्लोक 56
 
 
श्लोक  10.53.56 
 
 
रथं समारोप्य सुपर्णलक्षणं
राजन्यचक्रं परिभूय माधव: ।
ततो ययौ रामपुरोगम: शनै:
श‍ृगालमध्यादिव भागहृद्धरि: ॥ ५६ ॥
 
अनुवाद
 
  गरुड़-ध्वज वाले अपने रथ में राजकुमारी को बैठाकर भगवान माधव ने राजाओं के घेरे को बिखेर दिया। बलराम को आगे करके वह धीरे-धीरे उसी तरह बाहर निकल गए जिस प्रकार शेर सियारों के बीच से अपना शिकार उठाकर चला जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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