दुलहन के पीछे हजारों प्रमुख गणिकाएँ थीं जो नाना प्रकार की भेंटें और उपहार लेकर पीछे-पीछे चल रही थीं। साथ ही, वहाँ ब्राह्मणों की सजी-धजी पत्नियाँ गीत गा रही थीं और स्तुतियाँ कर रही थीं। वे माला, सुगन्ध, वस्त्र और आभूषण की भेंटें लिए थीं। इसके अलावा वहाँ पेशेवर गवैये, संगीतज्ञ, सूत (कथाकार), मागध (गीतकार) और वन्दीजन भी थे।