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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 53: कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का अपहरण
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श्लोक 33
श्लोक
10.53.33
मधुपर्कमुपानीय वासांसि विरजांसि स: ।
उपायनान्यभीष्टानि विधिवत् समपूजयत् ॥ ३३ ॥
अनुवाद
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उन्हें मधुपर्क, नए वस्त्र और अन्य काम्य पदार्थ भेंट कर वह विधिवत उनकी पूजा की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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