तामानयिष्य उन्मथ्य राजन्यापसदान् मृधे ।
मत्परामनवद्याङ्गीमेधसोऽग्निशिखामिव ॥ ३ ॥
अनुवाद
वह अपने आपको एकमात्र मेरे प्रति ही अर्पित कर चुकी है और उसका सौन्दर्य दोषरहित है। उन निकम्मे राजाओं को युद्ध में उसी तरह पीसकर मैं उसे यहाँ लाऊँगा जिस तरह लकड़ी से आग निकाली जाती है।