श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 53: कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का अपहरण  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  10.53.22 
 
 
भीष्मकन्या वरारोहा काङ्‍क्षन्त्यागमनं हरे: ।
प्रत्यापत्तिमपश्यन्ती द्विजस्याचिन्तयत्तदा ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  भीष्मक की प्यारी बेटी आतुरता से कृष्ण के आने का इंतज़ार कर रही थी, लेकिन जब उसने ब्राह्मण को वापस नहीं आते हुए देखा तो उसने इस तरह सोचा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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