श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 53: कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का अपहरण  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  10.53.14 
 
 
एवं चेदिपती राजा दमघोष: सुताय वै ।
कारयामास मन्त्रज्ञै: सर्वमभ्युदयोचितम् ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  चेदि के राजा महाराज दमघोष ने अपने पुत्र के लिए समस्त कर्मकांड संपन्न करवाने के उद्देश्य से मंत्रोच्चारण में निपुण विद्वानों को नियुक्त किया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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