श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 53: कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का अपहरण  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  10.53.12 
 
 
चक्रु: सामर्ग्यजुर्मन्त्रैर्वध्वा रक्षां द्विजोत्तमा: ।
पुरोहितोऽथर्वविद्वै जुहाव ग्रहशान्तये ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  रिग, साम और यजुर्वेद के मंत्रों का जाप करके श्रेष्ठ ब्राह्मणों ने वधू की रक्षा की, और अथर्ववेद में निष्णात पुरोहित ने ग्रहों को शांत करने के लिए आहुतियाँ दीं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.