श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 53: कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का अपहरण  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  10.53.1 
 
 
श्रीशुक उवाच
वैदर्भ्या: स तु सन्देशं निशम्य यदुनन्दन: ।
प्रगृह्य पाणिना पाणिं प्रहसन्निदमब्रवीत् ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने कहा: इस तरह कुमारी वैदर्भी का गुप्त संदेश सुनकर यदुनंदन ने ब्राह्मण का हाथ अपने हाथ में ले लिया और मुस्कुराते हुए उससे इस प्रकार बोले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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