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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 52: भगवान् कृष्ण के लिए रुक्मिणी-संदेश
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श्लोक 7
श्लोक
10.52.7
विलोक्य वेगरभसं रिपुसैन्यस्य माधवौ ।
मनुष्यचेष्टामापन्नौ राजन् दुद्रुवतुर्द्रुतम् ॥ ७ ॥
अनुवाद
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हे राजन, शत्रु-सेना की प्रबल हलचल को देखकर माधव-बन्धुओं ने मानव-सुलभ व्यवहार दिखाते हुए तीव्र गति से भागना आरंभ कर दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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