कच्चिद् द्विजवरश्रेष्ठ धर्मस्ते वृद्धसम्मत: ।
वर्तते नातिकृच्छ्रेण सन्तुष्टमनस: सदा ॥ ३० ॥
अनुवाद
[भगवान ने कहा]: श्रेष्ठ ब्राह्मण, क्या आपके धार्मिक अनुष्ठान, जो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अनुमोदित हैं, बिना किसी बड़ी कठिनाई के जारी हैं? क्या आपका मन सदैव पूर्णतः संतुष्ट रहता है?