श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 52: भगवान् कृष्ण के लिए रुक्मिणी-संदेश  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  10.52.28 
 
 
द‍ृष्ट्वा ब्रह्मण्यदेवस्तमवरुह्य निजासनात् ।
उपवेश्यार्हयां चक्रे यथात्मानं दिवौकस: ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  ब्राह्मण को देखकर, ब्राह्मणों के प्रभु श्री कृष्ण अपने सिंहासन से उतरकर उसे बैठने के लिए स्थान दिया। तत्पश्चात् भगवान् ने उसी तरह उसकी पूजा की जिस प्रकार से स्वयं देवताओं द्वारा पूजित होते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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